नरेंद्र मोदी फैक्टर के शिकंजे में है मधेपुरा लोकसभा सीट
Lok Sabha Election 2024
जदयू और राजद के बीच है सीधी टक्कर
अर्थप्रकाश / मुकेश कुमार सिंह
पटना / बिहार । Lok Sabha Election 2024: रोम है पोप का और मधेपुरा है गोप का, इसी नारे के साथ मधेपुरा की चुनावी जंग होती रही है। 1967 में अस्तित्व में आये मधेपुरा लोकसभा सीट से, आज तक सिर्फ यादव समाज के लोग ही लोकसभा जाते रहे हैं। एक समय मण्डल मसीहा बिन्देश्वरी प्रसाद मण्डल की तूती बोलती थी। बाद में राजद चीफ लालू प्रसाद यादव, तो कभी समाजवादी नेता शरद यादव और कभी बाहुबली पप्पू यादव के बीच चुनावी जंग का, मधेपुरा गवाह बनता रहा। इस बार मधेपुरा लोकसभा की जंग सीधी टक्कर के रूप में है। मुकाबला जदयू के सीटिंग सांसद दिनेश चंद्र यादव और राजद के कुमार चंद्रदीप के बीच है। वैसे चुनावी समर में, बहुजन समाज पार्टी के मो. अरशद हुसैन भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। बताते चलें कि जदयू प्रत्याशी दिनेश चंद्र यादव मंझे हुए सियासी खिलाड़ी हैं। लेकिन राजद के उम्मीदवार डॉक्टर चंद्रदीप का संबंध बेहद समृद्ध राजनीतिक घराने से है। डॉक्टर चन्द्रदीप भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के संस्थापक कुलपति सह लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य रह चुके डॉक्टर रमेंद्र कुमार यादव रवि के पुत्र और संविधान सभा के सदस्य रहे कमलेश्वरी प्रसाद यादव के पौत्र हैं। डॉक्टर चन्द्रदीप पेशे से प्रोफेसर हैं और उनकी गिनती राजद के विद्वान नेताओं में होती है।
गौरतलब है कि मधेपुरा सीट पर यादव का वोट सभी पार्टियों में जाता है। यही कारण है कि जेडीयू ने यहाँ पर चार बार जीत दर्ज की है। इस लोकसभा क्षेत्र में यादव साढ़े तीन लाख और मुस्लिम डेढ़ लाख हैं। तीसरे नंबर पर ब्राह्मण पौने दो लाख हैं जबकि सवा लाख के करीब राजपूत वोटर भी हैं। दलित मुसहर, कोइरी, कुर्मी या यूँ कहें कि अति पिछड़ा, पिछड़ा, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का वोट 4 लाख से अधिक है। यही कारण है कि जेडीयू को इस क्षेत्र से सफलता मिलती रही है। राजद प्रत्याशी डॉक्टर चन्द्रदीप काफी योग्य प्रत्याशी हैं। लेकिन कम राजनीतिक गतिविधि के कारण, उनकी सामाजिक पहचान का दायरा बेहद कम है। 2019 के लोकसभा चुनाव में जदयू और भाजपा ने एक साथ मिल कर चुनाव लड़ा था। दोनों के साझा उम्मीदवार दिनेश चंद्र यादव चुनावी मैदान में थे। इसका फायदा दिनेश चंद्र यादव को मिला। उन्हें सबसे अधिक 6,24,334 वोट मिले थे। आरजेडी उम्मीदवार शरद यादव को 3,22,807 मत प्राप्त हुए थे। राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव को सिर्फ 97,631 वोट मिले थे।
गौरतलब है कि 38,450 लोगों ने नोटा का बटन भी दबाया था। 2019 में इस सीट पर 60.89 प्रतिशत मतदान हुआ था और दिनेश चंद्र यादव ने चुनाव 301527 मतों से जीता था। इस सीट के लिए 7 मई 2024 को मतदान होना है। इस बार मधेपुरा में 70 हजार नए वोटर का नाम मतदाता सूची में जोड़ा गया है। कुल मिला कर पूरे लोकसभा क्षेत्र में 21 लाख 11 हजार 773 मतदाता हैं। इसमें पुरुष वोटर की संख्या 10 लाख 96 हजार 197 और महिला वोटर की 10 लाख 13 हजार 72 है। जबकि ट्रांस जेंडर मतदाता की संख्या 51 है। इस संसदीय क्षेत्र में सर्विस वोटर की संख्या 2,442 है।
कुल मतदाताओं में से 27,805 मतदाता 18-19 वर्ष के युवा वोटर हैं। 85 वर्ष या इससे अधिक उम्र के कुल मतदाताओं की संख्या 16,180 है। वहीं, 15029 दिव्यांग मतदाता भी हैं। मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र कुल 6 विधानसभा क्षेत्रों में फैला हुआ है, जिनमें कुल 2,045 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। आलमनगर विधानसभा क्षेत्र में 354, बिहारीगंज विधानसभा क्षेत्र में 312, मधेपुरा विधानसभा क्षेत्र में 348, सोनवर्षा विधानसभा क्षेत्र में 329, सहरसा विधानसभा क्षेत्र में 388, महिषी विधानसभा क्षेत्र में 314 बूथ बनाए गए हैं। कुल मिला कर मधेपुरा लोकसभा क्षेत्र का आलम यह है कि डॉक्टर चन्द्रदीप को राजनीतिक पहचान नहीं होने का सीधा नुकसान हो रहा है। एनडीए से जदयू प्रत्याशी दिनेश चंद्र यादव को सबसे बड़ा फायदा यह है कि वे यादव होने का भी अतिरिक्त फायदा उठाते दिख रहे हैं। वे यादव समाज का जितना अधिक वोट लेंगे, वह उनके लिए बड़ा बोनस साबित होगा। कई जगह दिनेश चंद्र यादव के विरोध भी हुए हैं और हो भी रहे हैं लेकिन लोग बाद में यह कह रहे हैं कि "दिनेश चन्द्र यादव मजबूरी हैं लेकिन मोदी बहुत जरूरी हैं"। बिहार की सियासत में, मधेपुरा सीट भी हाईप्रोफाइल सीट माना जाता है। इस बार मधेपुरा सीट पर तमाम जातीय और धार्मिक गोलबंदी का नतीजा मोदी है, तो मुमकिन है के नारे की तरफ झुका हुआ प्रतीत हो रहा है । इलाके के लोग यह कहते हुए सुने जा रहे हैं कि केंद्र में मोदी को ही आना चाहिए। विधानसभा चुनाव में विचार किया जाएगा कि किसके पक्ष में मतदान करना है। क्षेत्र में एनडीए और महागठबंधन का प्रचार, अपने परवान पर है। जाहिर तौर पर यह लोकसभा सीट अभी मोदी फैक्टर के इर्द-गिर्द घूम रहा है। वैसे राजनीति में हवा कब अपना रुख बदल दे, कहना नामुमकिन है। जो भी हो फिलवक्त तमाम कयासों के बीच, दिनेश खेमे में मतदान से पूर्व ही जश्न की तैयारी चल रही है।